Friday, October 26, 2012

सामुदायिक प्रार्थना


ॐ भूर्भुवः स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यम्, 
भर्गो देवस्य धीमहि, 
धियो योनः प्रचोदयात् |

गुरुर्ब्रह्मा, गुरूर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः, 
गुरुर्साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः |
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय |

है प्रार्थना गुरुदेव से, ये स्वर्ग सम संसार हो, 
अतिउच्च्तम् जीवन बने, परमार्थमय व्यवहार हो,
ना हम रहें अपने लिए, हमको सभी से गर्ज़ है,
 गुरुदेव ये आशीष दें, जो सोचने का फ़र्ज़ है |

हम हों पुजारी तत्व के, गुरुदेव के आदेश के, 
सच प्रेम के, नित नेम के, सद्धर्म के, सत्कर्म के,
हो चीढ़ झूठी राह की, अन्याय की, अभिमान की, 
सेवा करन को दास की, परवाह नहीं हो जान की |

छोटे न हों हम बुद्धि से, हों विश्वमय से ईशमय, 
हों राममय और कृष्णमय, जगदेव में जगदीश मय,
हर इन्द्रियों पर ताव कर, हम वीर हों अति धीर हों, 
उज्जवल रहें सर से सदा, निज धर्म रत खंबीर हों |

अति शुद्ध हों आचार से, तन-मन हमारा सर्वदा, 
आध्यात्म की शक्ति हमें, पल भर नहीं कर दे जुदा,
इस अमर आत्मा का हमें, हर श्वास भर में ग़म रहे, 
ग़र मौत भी आ गयी, सुख-दुःख हमसे सम रहे |

“हे गुरुदेव, हम सबको सद्बुद्धि दे, 
सत्कर्तव्य करने की प्रवृत्ति दे,
सच बोलने का अभ्यास दे,
सच स्वरुप का ज्ञान दे”

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय |

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, 
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव, 
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, 
त्वमेव सर्वं मम देव देव |

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते, 
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्णमेवा वशिश्यते, 
ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः |

ॐ सहनाववतु सहनौभुनक्तु, सहवीर्यं करवावहै, 
तेजस्विनावधीतमस्तु, माँ विद्विषावहै,
 ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः |

ॐ सर्वेत्र सुखिनः सन्तु, सर्वे सन्तु निरामयाः, 
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कश्चिद् दुःख माप्नुयात,
ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः |

ॐ असतो माँ सद्गमय, 
तमसो माँ ज्योतिर्गमय, 
मृत्योर्मा अमृतं गमय, 
ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः |

ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर ब्रह्माग्नौ ब्रह्मनाहुतम, 
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं, ब्रह्म कर्म समाधिना, 
ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः |

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय |

Sunday, January 16, 2011

श्री राम चन्द्र जी की आरती



आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥


पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥


दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥


तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥


चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥


पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

Tuesday, December 21, 2010

श्री लक्ष्मी जी की आरती



महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता | 
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....

उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता | 
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
.ॐ जय लक्ष्मी माता....

दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता | 
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता | 
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता| 
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....

महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता | 
उँर आंनद समाा,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....

स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता | 
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता | 
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता..

श्री गणेश आरती


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी 
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी 


पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा 
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥


अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया 
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया 


दीनन की लाज राखो शम्भु-सुत वारी । 
कामना को पूरी करो जग बलिहारी 


सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा